Shri Hariram Vyas Ji Ka Bhakt Charitra: अद्भुत भक्त निष्ठ श्री हरिराम व्यास जी की महिमा , उनका प्रेम और महाराज जी द्वारा गूढ़ संकेत

Shri hariram vyas ji ka Bhakt Charitra: जिस दिन से हरि राम व्यास जी महाराज महाप्रभु हरिवंश चंद्र जू की शरण भए उस दिन से कभी भी श्रीधा वृंदावन से बाहर नहीं गए और महाप्रभु का आदेश था श्याम श्यामा पद कमल संग शिर नायो राधा वल्लभ लाल को हृदय ध्यान मुख नाम यह दो बातें आजीवन हरिराम व्यास जी ने निर्वाह किया भक्तों को आराध्य देव माना भक्तों के आगे कुल रीति धर्म रीति व्यवहार नीति सब का त्याग कर दिया|

क्योंकि आचार्य चरण ने आदेश किया गुरुदेव ने आदेश किया श्याम श्यामा पद कमल संग शर नायो बहुत विशाल उदार हृदय परम पावन चरित्र इनका हरि राम व्यास जी का है भक्तों को आराध्य देव माना क्योंकि आचार्य चरण कहते हैं भावे माई जगत भगत भजनी प्रिया प्रीतम के प्रेमी जनों का भजन करने वाला मुझे अच्छा लगता है|

हित सजनी ज कहते हैं इसलिए आज जीवन भक्त भजन से परिपक्व हरिराम व्यास जी किंचन मात्र भी कहीं अन्य भावना नहीं अपने श्री राधा वल्लभ लाल जी में अनन्य हमारे हृदय की एक इच्छा कल से जागृत हुई कि रोज एक महापुरुष का पूजन और उनका यश गायन उनका दर्शन उनका चरण बंदन क्योंकि इस अपार संसार समुद्र से पार होने का एक सहज उपाय महापुरुषों की वाणी में पाया गया|

भक्त चरण धरि भाव तरतूद समुद्र से महान प्रेमी महा भागव तों की कृपा ही हमें पार कर सकती है नहीं तो हमारी इंद्रिया मन कहां फसा दे कोई विश्वास नहीं इसलिए रोज एक भक्त का स्मरण रोज एक भक्त का अर्चन रोज एक भक्त की महिमा का गायन वैसे तो नामावली का रोज गायन होता ही पर प्रथम भाव में मंगला में एक किसी आचार्य महान भक्त का पूजन रोज ये हमारा सौभाग्य होगा|

तो जैसे कल पूज्य श्री स्वामी महामहिम ललिता ज के अवतार श्री हरिदास ू का आज विशाखा सखी के अवतार श्री हरिराम व्यास जी का आगे श्री जी किस रूप में आकर के विराजमान होते तो इनकी स्तुति ही हमारी जीवनी शक्ति है तो इनका स्तवन क्या है आराध्य के प्रति अनन्य उनके पद से हम उनकी अनन्य को देखते हैं अभी चार लाइने भक्त नामावली से ध्रुव दास जी की हरि राम व्यास जी की सरवरी कौन कर सकता है|

विचार करो इतने महान पांडित्य से युक्त इतने ज्ञान से युक्त होकर इतने दैन्य प्रियालाल की प्रसाद की इतनी दिव्य भावना कि उनकी टोकरी से एक पकोड़ी लेकर मुख में ा तो अन्य जन जो देखने वाले थे बोले आचार्य कैसे आचरण कर रहे हैं आचार्य कोटि के महापुरुष है|

भंगन की टोकरी से तो जब वो लोग उदासीनता प्रकट किए तब उन्होंने एक पद गाया एक पकरी सब जग छूट एक पकोड़ी ने कैसा राग मिटा दिया इष्ट की अनन्य राधा वल्लभ में मेरो प्यारो राधा वल्लभ मेरो प्यारो राधा वल्लभ मेरो प्यारा मेरो प्यारो श्री राधा वल्लभ लाल की उपासना में सबसे बड़ी बात है अनन्य होता हरिराम व्यास जी ने कहा कि राधा वल्लभ ध्यायतो बने नहीं बरी बरी प्रति लन जैसे अलग-अलग बड़ी में नमक नहीं मिलाते फेट में मिला देते तो सर्वत्र मिल जाता है|

ऐसे राधा वल्लभ लाल की अनन्य उपासना करने से विश्व ब्रह्मांड के सबकी उपासना हो जाती है सर्वो पर सब ही को ठाकुर सर्वो परही हो ठाकुर सब सुख दानी हमारो सब सुखना ो राधा वल्लभ मेरो प्यारो राधा वल्लभ मेरो प्यारो राधा ब मेरो प्यारो राधा वल्लभ मेरो प्यार सर्वोपरि सही को ठाकुर य राधा वल्लभ लाल जू इन्हीं से सब अवतार प्रकट होते हैं|

नित्य बिहारी हैं अपने अंश से यही बृजेंद्र नंदन के रूप में प्रकट होते हैं दास अनन्य भजन रस कारण प्रगट लाल मनोहर ग्वार ये लाल जू महाराज ही हमारे राधा वल्लभ लाल ही विविध अवतार धारण करते हैं इसलिए सबके मूल है वैसे भी गीता जी में भगवान अपने को मूल बता रहे हैं|

उर्ध्व मूल मदा साखा वैसे ही भगवान व्यास देव जी बता रहे हैं परब्रह्म परमात्मा साक्षात श्री कृष्ण सब अवतारों के अवतारी हरि राम व्यास जी कह रहे हैं सर्वो पर सही को ठाकुर ये सब सुख दनी हमारो बड़े लाड़ले रिवार ठाकुर है बड़े रिवार ये बिहारी ज ये राधा वल्लभ जय राधा रमण ज करुणा करके ये अवतार धारण किया है जो ये विग्रह अवतार है|

Shri Hariram Vyas Ji Ka Bhakt Charitra

ये साक्षात प्रिया प्रीतम बने हुए हैं राधा वल्लभ जू रूप बेल प्यारी बनी सु प्रीतम प्रेम तमाल दो मन मिले के भय श्री राधा वल्लभ लाल अहो भाग्य उनके घर में रहने को मिल रहा है और उनके होक रहने को मिल रहा है हम किनके हैं बोले कौन है बोले राधा वल्लभी है ये राधा वल्लभ जी के है|

ये सब अब सब सुख दान हमारो हम उनको क्या सुख प्रदान करते हैं क्या सुख दे सकते हैं इस संसार में नाशवान वस्तुएं नाशवान शरीर उस अविनाशी सच्चिदानंद सर्वोपरि को हम क्या सुख दे सकते हैं सही पूछो तो हम उनके नाम पर सुखी हो रहे हैं हम उनके धाम में सुखी हो रहे हैं हम उनके आश्रय में सुखी हो रहे हैं|

सब सुख दानी हमारो पर किनको बोले जो सर्वो पर हृदय में धारण कर चुके हैं अनन्य भाव मेरे राधा वल्लभ लाल ब्रज वृंदावन नायक सेवा लायक श्याम उजियार ब्रज वृंदावन यक से वा नायक श्याम प्रीति रीति पहचाने जाने प्रीति रीति पने जा रसिकन को रखवार रस रवा राधा वल्लभ मेरो प्यारो राधा वल्लभ मेरो प्यारो राधा लभ मेरो प्या राधा लभ मेरो प्या श्याम कमल दल लोचन मोचन दुख नैनन को तारो कमल मोचन दुख न को तारो अवतारी सब अवतार को अवतारी सब अवतार को महतारी महता महतारी अवतारी सब अवतार निको महतारी महाता अवतारी सब अवतार मरी मार राधा वल्लभ मेरो प्यारो राधा वल्लभ मेरो प्यारो राधा वल मेरो प्यारो राधा वल्लभ मेरो प्या मूरति वंत काम गोपिगो गोपनी को गारो गवत नाम गोविंद गो व्यास दास को प्राण जीवन धन व्यास कोन छीनना हृदय ते टार नाते तारो व्यास दास को प्राण जीवन धन दास को प्राण जीवन छिन ना हृदय ते टार शना राधा वल्लभ मेरो प्यारो राधा वल्लभ मेरो प्यारो राधा वल मेरो प्यारो धा वल्लभ मेरो प्यारो इसी पद की भावना में समस्त वृंदावन के रसिक हित शरणागत सदय डूबे रहे अपने आराध्य देव श्री राधावल्लभ लाल बड़े दयालु है|

अति उदा करुणा वरुणा लय इनका जो सौंदर्य है वह संभाव्य बरच नारद शिव वहां पहुंच पाना बड़े बड़े की दुर्लभ की बात है पर जब आचार्य कृपा हो जाती है और अनन्य आ जाती है तो सच्ची माने इस हृदय में इतनी ताकत नहीं कि आनंद को सह सके व आ मंत्र आचार्य नाम आचार्य कृपा इन रस सिंधु को प्रिया प्रीतम को दुलार करने की इनके रूप रस का पान करने की महा सुख की सहने की वृत्ति आती है|

जैसे लोग कहते भगवान क्यों नहीं दर्शन प्राण निकल जाए अगर अभी प्रकट हो जाए ऐसा सौंदर्य ऐसा आनंद ऐसा माधुर्य जैसे जीरो वाट में 14000 वाट बिजली छोड़ दी जाए धजिया उड़ जाएंगे ये आनंद जरा सा विषय आनंद में मगन रहने वाला हृदय आनंद समुद्र प्रभु रूप धारण कर प्रकट हो जाए उसकी इसीलिए हर द्वंद को भगवान सहते हुए हृदय को इतना मजबूत कर देते हैं|

भारी से भारी अपमान भारी से भारी सम्मान ब्रह्म लोक तक का सुख भी जब उसके हृदय में आकर्षण नहीं करता तब इनका रूप सौंदर्य यह हमारी पहुंच के बाहर की बात है ये केवल कृपा से है और वो कृपा अनन्य से मिलती है हम सब अपने हृदय में अपनी प्यारी जू प्यारे जू की अनन्य इन्हीं महापुरुषों की जूठन से प्राप्त कर सकते हैं|

अपने में सामर्थ्य नहीं स्वामी जी महाराज कृपा करें हित जू के शरणागत रसिक जन कृपा करें हरि राम व्यास जी कृपा करें गुरुदेव कृपा करें यह सब कृपा से हमारा सौभाग्य उदय हो रहा है होता ही रहेगा कृपा से ही हमारी पहुंच हो सकती है इसमें साधना नहीं है और कृपा इन्हीं प्रारंभ से अभी तक केवल कृपा ही देख रहे केवल कृपा देख रहे हैं|

इसलिए साधन खूब करो भरोसा कृपा का रखो और वह कृपा होती भक्त चरणों से बड़े-बड़े महापुरुषों के चरणों का आश्रय उनका चिंतन फिर एक प्रार्थना करता हूं भारी से भारी विघ्न से बचने के लिए जब आपको कभी संकट हो ऐसा लगे अब कोई बचाने वाला नहीं तो हृदय की बात ध्यान रखना भगवान को बाद में याद करना पहले भक्त को याद कर लेना किसी महापुरुष को याद कर लेना भगवान उसी समय उस विपत्ति की धज्जियां उड़ाते तुम्हें मिलेंगे|

यह हमारा हृदय का अनुभव है पक्का पक्का पक्का जिस समय कोई भारी विपत्ति हो किसी महा भागवत को याद कर लेना यह हमारी गांठ बांध लो बात की क्योंकि संसार भया हुआ दुखम है जब कभी कोई भारी दुख और कोई निदान ना दिखाई दे तो तत्काल किसी महापुरुष का आश्रय लेना अंदर से ह्री राम व्यास जी स्वामी जी महाराज हित जू महाराज सेवक ज महाराज प्रकट में गुरुदेव किसी का किसी महापुरुष का आप उसी समय देखिएगा भक्त चरण चिंतन के प्रभाव से समस्त विघ्नों को विध्वंस होते देखा है|

परिवर्तन होते देखा परिवर्तन एकदम अचानक परिवर्तन बड़े बड़े परिवर्तन देखे हैं मतलब कैसे तुम्हें बताए हृदय में आपको दृढ़ विश्वास राधा वल्लभ लाल जी के प्रति आ जाए जिस दिन किसी भक्त के चरणों का दृढ़ आश्रय हो जाएगा चमत्कार प्रकट हो जाएगा राधा वल्लभ लाल जी पीछे डोलेगे जब किसी भक्त के चरण का दृढ़ आश्रय हो जाएगा|

हरि राम व्यास जी महाराज भक्त चरण प्रताप से ही ऐसी ऊंचाई पर चढ़े हुए थे कि ठाकुर जुगल किशोर जी राधा वल्लभ लाल ज उनके हृदय निकुंज में सदैव खेलते हैं खेलते रहेंगे खेलते थे हरि राम व्यास जी यही विराजमान है ज हमारी प्रिया जो स चरिया तो सचर ही तो है ना जितने आचार्य हम ऐसी जगह बैठा दिए गए सब यहीं आ रहे हैं सब यहीं आए हैं और सब यहीं से जगत मंगल के लिए गए बहुत ऊंची ठोर मिल गई हमारे राधा वल्लभ लाल जी जानते हो कहां विराजमान है|

ऊंची ठोर कहा जाता है ऊंची ठोर कौन है प्रिया जू का सानिध्य ऊंची ठोर है और हमारी ऊंची ठोर में शरणागति हुई है जहां प्रिया जो विराजमान है और ये ऊंची ठोर रिसिको की कृपा से मिली बस अपनी उपासना को समझकर इनके चरणों में चित्त को जोड़ते रहिए जीवन की शाम निकुंज में होने वाली है हम सबकी जीवन की शाम निकुंज में होने वाली पक्का समझना जितने ऊंची ठोर के शरणागत हैं|

इनकी सब संध्या भजन होने वाला है श्री जी के पास तैयारी रखो इसको ज्यादा मत सजाओ नहीं तो फेंकने में दिक्कत पड़ेगी यह कपड़ा फेंकना है एक नई पोशाक सिली गई है हित सजनी ने पास किया है वो पोशाक ब्यास सुवन प्रसाद देह मानसी गढ़े चित वो आ चुकी गुरुदेव के पास पोशाक आपको पहनना है तैयारी फिट रखो तैयारी क्या है|

इस पोशाक में ममता हटाओ पहले यह पोशाक जो अधिक प्रिय रखता है उसको वो पोशाक विलंब से मिलेगी और जिसने इस पोशाक को त्यागने को ठान लिया वो पोशाक तैयार पहना दी जाए उसी पोशाक से श्री जी के पास संध्या में पहुंचना है संध्या माने संधि जहां प्रिया प्रीतम का मिलन हो रहा है उसी संध्या संधि में हम सहचर का प्रवेश है|

हम संधिनी शक्ति है प्रिया प्रीतम की संधिनी शक्ति है इच्छा शक्ति है खूब आनंद है इनके भक्तों के चरणों के आश्रय में अहंकार का नाश दूसरा कोई नहीं भक्त चरणों से अहंकार का नाश होता है भक्त चरणों से भव समुद्र से पार हो ऐसे अगर बैठे पूरा जीवन व्यतीत हो जाए और श्री जी मिल जाए तो हमें और करना क्या है ऐसे ही बैठे मिल जाएंगे यदि अहंकार ना करो तो य जितना भटकाव है सब अहंकार से है सबको जाना है|

बस पोशाक बदलने के लिए तुम तैयारी कर लो बिल्कुल खास बात बता रहे हैं शरीर रूपी पोशाक से ममता हटानी है वह इनके चरणों के बल से हट जाएगी नवीन पोशाक बहुत सुंदर है बहुत सुंदर है दिल फेल होने वाला उसमें नहीं है उसमें ब्लड प्रेशर का लो हाई नहीं है|

उसमें किडनी फेल नहीं है लीवर खराब नहीं है और उसमें काल की दाल नहीं गलती वह ऐसी पोशाक पहनाई जाएगी जो अनंत काल तक एक रस रहती है वह पोशाक तैयार हो गई है आपके लिए जीते जी जीवित मर जाए उलट आप में समाए है दिलगिरी पता नहीं जीने की आशा कैसे टूटेगी यह जीने की आशा और नया कपड़ा बना रखा है बिल्कुल सिल चुका है तैयार रखा वो पहन लो तो अभी निहाल हो जाओ पर यह उतारो तब वो पहनो देह शुद्धि देह ममता देहा शक्ति इन्हीं से हटेगी|

इसीलिए पूजन शुरू करवाया रोज महापुरुषों के चरणों का चिंतन उनका यश गायन उनकी कृपा क्योंकि अब जान गए हैं बात कि इनकी कृपा के बिना कुछ नहीं होने वाला श्री जी उसी की तरफ देखती जिस तरफ सखियां देखती है और यह दिव्य सखियां है और यह श्री जी से ज्यादा कृपालु है|

लाल जू से ज्यादा कृपाल श्रीजी और श्रीजी से ज्यादा कृपाल श्रीजी की सखिया है नहीं तो आप सोचो अगर सखिया ना घसीटते तो हम कैसे श्री जी का आश्रय श्री जी का नाम श्री जी की लीला श्री जी की वाणी तक पहु सखियां आई है जैसे गुरुदेव भगवान है ना सखी है वो आई है देखो घसीट लिए और कितने को घसीटे हम सबकी शम श्री जी के चरणों में होनी विश्वास कर लो बस एक बात ध्यान रखे कि अहंकार का नाश भक्त चरणों से होता है|

खूब भक्तों का नाम भक्तों की चरण रज भक्तों का आश्रय श्री जी मिली मिलाई श्री जी कहीं दूर नहीं पक्का है हम इसलिए कहते हैं शब्द नहीं है कहा कह एक जीभ सखी री बात की बात की बात बिल्कुल ये विश्वास ये बहुत अमूल्य शब्द है पता नहीं आज सुन रहे हो कल सुनने को मिले कि ना मिले इनको पकड़ लो इसीलिए हम अंदर की बात

कहते जाते हैं कि पता नहीं बात दोबारा हो कि ना हो पता नहीं बात कहने वाला रहे या सुनने वाला रहे कि ना रहे यह बहुत बिछड़ने वाला मार्ग है इसलिए सावधान हम सबका रजिस्टर में नाम लिख चुका है यह हमको वहां रजिस्टर पढ़ने वाले ने बताया है लिख चुका है पास हो चुका है पोशाक बन चुकी तैयारी है|

आप इस कपड़े को त्यागने की तैयारी कर लो उसमें लगे हैं लगे हैं अपने लोग रोज इसी की बात होती तन की तन संबंधियों की तन भोगों की और जिस दिन तैयारी फिट हो गई तो देह रहते हुए विदेह हो जाओगे देह रहते हुए देह भान रहित महापुरुषों की स्थिति वो जागृत हो जाएगी|

Shri Hariram Vyas Ji Ka Bhakt Charitra

Leave a Comment

error: Content is protected !!