Bacho Ki Shadi Ke Baad Mata Pita Ka Kya Kartavya Hai | ekantik Vartalap Darshan: एकांतिक वार्तालाप & दर्शन By Shri Premanand Ji Maharaj

Bacho Ki Shadi Ke Baad Mata Pita Ka Kya Kartavya Hai(अपने बच्चों की शादी के बाद माता-पिता का बच्चों के साथ कैसा व्यवहार होना चाहिए): अजय अग्रवाल जी जालंधर से राधे राधे जय श प्रभु जी राधे राधे प्रभु जी शादी के बाद माता-पिता का बेटों के ऊपर निरंतर पैसों को और घूमने फिरने को लेकर कैसा होना चाहिए क्या उनको अंकुश करना चाहिए ?

Pujya Shri Premanand Ji Maharaj: देखो हम केवल प्रश्न का उत्तर देते हैं अपने जीवन को भगवान के चरणों में समर्पित करने के लिए उसमें से जो बाधा या जो प्रश्न है उसका उत्तर तु हम दे सकते हैं और इन सब व्यवहारिक का उत्तर देने की हमारी रुचि नहीं है

हम इस विषय में क्या करें आप विचार करो माता-पिता की क्या परिस्थिति है उसका पुत्र किस स्वभाव वाला है उसकी बहू कैसे स्वभाव वाली है पूरी जानकारी के बाद उसका उत्तर होगा प्रत्येक माता-पिता का स्वभाव अलग-अलग है

प्रत्येक बहू का स्वभाव अलग-अलग है प्रत्येक बेटों का स्वभाव तो अगर यहां से हम उत्तर देते हैं तो सार्वभौम उत्तर जाएगा तो इसका सार्वभौम उत्तर तो नहीं हो सकता इसका व्यक्तिगत उत्तर हो सकता है आप अगर पूछ सकते हैं कि आपके माता-पिता की अवस्था ये है

उनका स्वभाव ये है हम उनके बेटे हैं हमारी पत्नी का स्वभाव ऐसा है अगर हम बाहर जाना चाहते तो फिर ये पर्सनल स्वभाव गत उत्तर है लेकिन सार्वभौम उत्तर नहीं तो हम साधु वेश धारी हैं

हमारा उत्तर सार्वभौम होगा आप परमार्थ के विषय में प्रश्न करेंगे सार्वभौम उत्तर होगा लेकिन व्यवहार के विषय में व्यक्तिगत उत्तर होता है हम चाहते हैं

Bacho Ki Shadi Ke Baad Mata Pita Ka Kya Kartavya Hai

Bacho Ki Shadi Ke Baad Mata Pita Ka Kya Kartavya Hai

हम व्यक्तिगत उत्तर देने के लिए नहीं बैठे हम सार्वभौम उत्तर देने के लिए बैठे हैं तो आप इस विषय में प्रभु जी माता-पिता बेटे बेटियों को खासकर बेटों को बचपन से लेकर युवावस्था तक क्या कैसे शिक्षित करें कि वह अपना नशा मुक्ति के बिना सुखी दांपत्य जीवन लीड कर सकते नशा मुक्ति के बिना बिना नशे के हम बिना नशे के बिना नशे के हा सुखी दंपत्ति हां पहले पहले इसमें बात ये है

ना कि माता-पिता को अगर शास्त्रों का ज्ञान नहीं है माता-पिता स्वयं सत्संगी नहीं है माता-पिता स्वयं धर्म से नहीं चलते माता-पिता कभी भजन नहीं करते अब वो बेटों का सुधार क्या करेंगे मात-पिता बालक बुलावे उदर भरे स जतन सिखाए अब वो यही सिखाएंगे ना कैसे रुपया कमाना है कैसे क्या मनमानी आचरण करने हैं

अब उनको खुद धर्म का ज्ञान नहीं तो कैसे जो धर्मात्मा माता-पिता है जो शास्त्र का स्वाध्याय किए या संतों का संघ किए वो अपने बालकों को भगवत शिक्षा देना प्रारंभ कर देते हैं सुनो सुबह उठो पहले धरती के चरण छो और हमारे चरण छो पापा के चरण छो बच्चे को शिक्षा दी जाती है और इसके बाद थोड़ी देर नाम जा स्नान करके आ नाम जप कर संयम से रहने की शिक्षा भगवत आचरण से जो हमारे अंदर है

वही हम सिखा सकते हैं ना फिर वही बच्चे आगे जाकर के धर्मात्मा बनते हैं वही भक्त बनते हैं वही राष्ट्र भक्त बनते हैं लेकिन आजकल हम बच्चों को कम दोष देते हैं माता-पिता को ज्यादा दोष देते हैं क्योंकि आपकी सावधानियां खुद खत्म हो चुकी है

आपको खुद पता नहीं है कि हमारी जीवन शैली कैसी होनी चाहिए उसका प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है आप थप्पड़ प थप्पड़ अपनी पत्नी को मार रहे हैं वो आपको कटु वचन कह रही है छोटा बच्चा खड़े-खड़े रो रहा है

वो जानते हो क्या करेगी जब आप बूढ़े होंगे ना तो वही लीला आपके साथ होगी वही बर्ताव आपके साथ होगा आजकल बहुत बड़ा विचित्र स्वरूप बनता चला जा रहा है कि बच्चे जवान माता-पिता से पोषित होकर धन संपत्ति का अपरण करके उनको निकाल देते हैं

बहुत श्रद्धा करी तो वृद्धाश्रम या अनाथालय में समर्पित कर देते हैं कहीं नान कहीं माता-पिता की शिक्षा का ही उसको फल मिल रहा है माता-पिता ने उनको सही शिक्षा नहीं दी पूरा हम बच्चों पर ही दोस्त नहीं मरते हैं जैसे हमारे आचरण होते हैं

Bacho Ki Shadi Ke Baad Mata Pita Ka Kya Kartavya Hai

उसका प्रभाव हमारे बच्चों पर पड़ता है पक्का कहते हैं हम कई बार एकांतिक में भी कह चुके हैं एक बहुत बड़ी नौटंकी सुल्ताना डाकू की देखी थी बचपन में जब उसे अधिकारियों ने पकड़ा और फांसी की सजा दी गई तो उससे पूछा गया तुम्हारी अंतिम इच्छा क्या है

उसने कहा मेरी मां से मिला दो मां लाई गई कहा बेटा से ऐसे लपट करके दांत से नाक काट ली थी ऐसे उ क ऐसा क्यों किया अधिकारियों ने पूछा बोले पहली दुश्मन यह हमारी है हम एक पेंसिल चुराई थी और कहा मां ये पेंसिल चुरा के लाया तो उ कहा बढ़िया बेटा लिखने के काम में आएगा

बस उस वचन ने मुझे सुल्ताना डाकू बना दिया और आज मैं फांसी पर चढ़ रहा हूं इसलिए इसकी नाक काटी अगर उस समय एक थप्पड़ मार देती तो जीवन भर के लिए मेरी गलती का ये संस्कार ना पड़ता तो बहुत कुछ सबसे पहले माता-पिता गुरु होते हैं

वही हमें शिक्षा देते हैं पर माता-पिता ही व्यसन युक्त है तो बच्चे को व्यसन मुक्त कैसे कर सकते हैं माता-पिता ही व विचार युक्त है तो बच्चे को कैसे कर सकते हैं माता-पिता ही भ्रष्ट बुद्धि के हो रहे हैं तो बच्चों को संस्कार कैसे दे सकते हैं

गर्भस्थ शिशु से संस्कार प्रारंभ हो जाता है जिस दिन पता चले कि गर्भ में बच्चा आ गया है उस दिन से ब्रह्मचर्य का पालन दोनों को करना चाहिए माता और पिता क ऐसा है बच्चा प्रकट हो गया है

अब हम उसके संस्कार जैसे डालेंगे वैसे बन जाएंगे हमारे यदि गंदे आचरण तो अपने आप उसमें संस्कार जा रहे हैं समलो जब वो जवान होगा और अपना बर्ताव प्रकट करेगा तब रोते घूमो ग कि हमारा बेटा है नहीं नहीं उसके जनक आप है जनक माने पिता उन संस्कारों के भी जनक आप है तो हमें लगता है कि बेटों से ज्यादा शिक्षा की जरूरत माता-पिता को है

अगर वह सही आचरण करें तो अपने बेटों को सही आचरण सिखा सकते हैं जब उनमें सही आचरण तो कैसे सिखा पाएंगे अब हमें बताइए क्यों अच्छा इसके बाद अपनी बेटी आवे तो सास कैसा बर्ताव करेंगे विचार करके देखो और बहू के साथ कैसा बर्ताव करेंगे ठीक है

बहू से पूछो तुम अपनी मां के साथ कैसा बर्ताव करोगे सास के साथ कैसा कर रहे हो ये सब ये जो गृहस्थी के चरित्र है यह सब भ्रष्ट होते चले जा रहे हैं ऐसे कई आप लोग तो संसार में समाचार सुनते होंगे आप देखते हैं कि बूढ़ी मां को बेटा मार रहा है या बूढ़ी सास को बह पिटाई कर रही है या सास ससुर पति तीनों मिलकर के बह की पिटाई कर रहे हैं

ये क्या है ये राक्षसी बुद्धि कैसे आ गई बोले भगवान का आश्रय नहीं सत्संग सुना नहीं शास्त्र स्वाध्याय नहीं तो बुद्धि भ्रष्ट तो हो ही जाएगी भगवान के आश्रय के बिना देवी हेसा गुण मककुम में पशु पक्षियों में ऐसे अगर ऐसी दया की भावना आ गई

भगवान प्रसन्न हो जाएंगे पर हम लोग विपरीत दिशा की तरफ जा रहे हैं भोले भाले पशुओं का बध करके उनको राते खाते हैं बड़े आदमी मान कु रुपया है ना मनमानी पैसे के बल पर विचार करते हैं मनमानी व्यसन करते हैं कर लो चार दिन है

इस खेती में जो बोगे वही काटना पड़ेगा बमल बोगे तो काटा मिलेंगे आम बोगे तो मीठा रसदार फल मिलेगा तो ये कर्म है अवश्य में भोग तव्य कृतम कर्म श अगर हम किसी को भी समझाना चाहते तो पहले हमें समझना होगा अगर हम केवल कोरा उपदेश करें प्रभु यहां का जो तांडव होगा काम क्रोध का वो चार दिन के बाद बाहर आ जाएगा

अपने आप चल उपदेश तभी लागू होते हैं जब स्वयं में वो स्थिति हो स्वयं में व आचरण हो हम बच्चों को बनाना चाहे बहुत अच्छे और हमारे आचरण अच्छे नहीं तो नहीं बना सकते एक बार किसी संत के पास एक माई अपने बाल ल कुलाई मैंने बहुत बार समझाया बाबा ये गुड़ नहीं छोड़ता गुड़ खाएगा तो इसके दांत में कीड़े पड़ जाएंगे

बाबा आप कह दो तो मान जाएगा बाबा ने कहा एक सप्ताह बाद आना एक सप्ताह बाद आए उसको कहा बेटा तुम गुड़ मत खाया करो गुड़ खाओगे पेट में कीड़ा हो जाएंगे दांत में कीड़ा हो जाएंगे ठीक है नहीं खाना उ कहा जी बाबा बोले बाबा एक हफ्ता के बाद क्यों कहा आप उसी दिन क्यों नहीं सम बोले मैं गुड़ खाता था

इसलिए एक हफ्ता हुए मैंने गुड़ छोड़ दिया तब उसको उपदेश तो हम अगर किसी को सुधारना चाहते हैं तो हमें पहले सुधरना होगा नहीं आप लड़खड़ाते हुए शराब पीकर घर में घुसो और बेटा को सोचो कि वह व्यसन मुक्त हो कदापि नहीं हो सकता

आप मनमानी दृश्य देखो आप मनमानी आचरण करो और बेटे को कहो कि साधु होता कदापि नहीं हो सकता आपके आचरण का प्रभाव पड़ता है समझ पा रहे हैं आप

How should parents behave with their children after their children’s marriage?

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