Jawan Ne Pucha Maharaj Se Sabhi Jawano Ki Taraf Se Sawal, ekantik Vartalap Darshan: एकांतिक वार्तालाप & दर्शन By Shri Premanand Ji Maharaj

एक जवान ने सभी जवानों के लिए क्या प्रश्न किया ? अफसरों और जवानों के लिए महाराज जी का उपदेश(Jawan Ne Pucha Maharaj Se Sabhi Jawano Ki Taraf Se Sawal) ekantik Vartalap Darshan): धर्म गुरु सूबेदार कृष्णकांत सिंह जी राधे राधे और विष्णु भूषण तिवारी जी सीआरपीएफ से राधे राधे जी आप दोनों का प्रश्न था सुभेदार साहब का था कि आर्मी के कल्याण हेतु अमृत वचन और इनका है कि सभी जवानों की तरफ से एक प्रश्न है गुरु गुरुजी सीआरपीएफ के जवान का मैं सीआरपीएफ में कार्यरत हूं तथा यह सवाल मेरे तथा पूरे जवानों भाइयों की तरफ से है गुरुदेव हम देश की सेवा कर रहे हैं परंतु देश सेवा के साथ-साथ हम सामाजिक तथा सांसारिक जीवन निभाने में असमर्थ हो जाते हैं जिस वजह से हमारा मन बहुत विचलित रहता है गुरुदेव कृपया मार्गदर्शन करें जिस वजह से हमारा मन विचलित ना हो तथा हम प्रसन्नता पूर्वक अपने कर्तव्य का निर्वाहन कर सकते ?

Pujya Shri Premanand Ji Maharaj: हां देखो जब यहां हमारे सामने कोई भी राष्ट्र सेवा में जो सैनिक विराजमान तो उनको संत की तरह आदर करते हैं जानते हो क्यों करते हैं क्योंकि अपने प्राणों को निछावर करके प्राणों का रक्षा का भय नहीं देश की रक्षा के लिए प्राणों को समर्पित करके अब त्रुटि क्या होती है

कि हम सही माने में राष्ट्र सेवा की भावना को नहीं समझ पा रहे हैं जिस समय हमको छुट्टी नहीं मिली तो हम अपने अधिकारियों पर नाराज हो जाते हैं और चूक भी कर बैठते हैं

आप समझना तो आप परिवार के मोह से युक्त हो गए आप किसी संसार के संबंध से प्रभावित हो गए तो हमारे यहां सम्मान पाने योग्य नहीं रह गए हम एक संत का जैसा सम्मान राष्ट्र सेवक को क्यों करते हैं

कि वो परिवार का यद्यपि संबंध स्वीकार किए हुए हैं पर पहले राष्ट्र और फिर परिवार पहले राष्ट फिर शरीर सुख फिर प्राण सुख इसलिए साधु होके विरक्त मार्ग के पथिक होके ऐसे हाथ जोड़ते हैं और कहते हैं हम आपको प्रणाम करते हैं और जो किसी का स्वागत नहीं करते उनका स्वागत करते हैं कि आप कहीं भी हमारे राष्ट्र सेवा में लगा दिए जाए

तो आप प्राणों की बाजी लगा के पर असंतुष्ट का विषय यह होता है जब आप अपने कर्तव्य को नहीं समझ पाते बात समझना जैसे एक संत सर्वस्व त्याग करके भगवान का स्मरण करते हुए पूरे विश्व का सर्वे भवत सुखिला सर्वे संत निरामया सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्च दुख भागत ठीक वैसे ही अपने परिवार से दूर रह कर के सांसारिक सुखों से दूर रह कर के ऐसा थोड़ी जैसे हम रसोई में गरम-गरम सब्जी रोटी दाल पा रहे हैं

जवान को हर समय थोड़ी ऐसा मिलता है कभी कई-कई दिन उनको भूखा भी रहना पड़ता है उनके लिए सोच स्नान की भी व्यवस्था ठीक से नहीं होती तो वो एक महान त्यागी संत की तरह है

केवल राष्ट्र से वो अपने स्वरूप को पहचाने नहीं तो बहुत गलत हो जाएगा अगर परिवार का मोह आपका स्थाई जागृत रहा तो सेवक सुख चाह मान भिखारी व्यसनी धन शुभ गति व विचारी कदापि नहीं हो सकता आप फिर राष्ट्र सेवा से चूक जाएंगे कि यदि आपको अपने शरीर सुख की व्यवस्था अपने परिवार संबंध की गाढ़ अवस्था आ गई

Jawan Ne Pucha Maharaj Se Sabhi Jawano Ki Taraf Se Sawal

Jawan Ne Pucha Maharaj Se Sabhi Jawano Ki Taraf Se Sawal

तो आप राष्ट्र को भूल जाएंगे अपने अधिकार को भूल जाएंगे अपने कर्तव्य को भूल जाएंगे और आप मनमानी आचरण कर देंगे मनमानी आचरण करना यह सेवा नहीं कही जाती सेवा वही होती है जिसमें निछावर किया जाता है त्याग किया जाता है उसे सेवा कहते हैं

सेवक सुख नहीं चाहता तभी तिरंगा उनके शरीरों पर विराजमान होता है और हर भारतवासी वो कोई भी हो हमारे देश के सैनिकों को सलूट करता है प्रणाम करता है क्यों करता है क्योंकि परिवार राग के त्यागी है वो शरीर राग के त्यागी है वो संसार सुख के आगी है वो भले कह रहे हैं कि हम संसारी हैं

लेकिन उनके अगर आदेश हो गया इसी समय आपको तैयार होकर जाना है तो आप भोजन पा रहे हैं लेकिन छोड़ देंगे आप चले जाएंगे तो यह त्याग नहीं और क्या है आप सोचो अपने परिवार ब्याह हो गया लेकिन वर्ष हो गए व अपनी पत्नी के दर्शन भी नहीं किए जाके मिला भी नहीं तो प्रणाम योग्य नहीं है

लेकिन इस कर्तव्य को आपको समझना होगा नहीं आप राष्ट्र सेवा नहीं कर पाएंगे और आपसे अपराध बन जाएगा आपके भाव में दूषित भाव आ जाएगा आप गलत सोचने लगे संतों को क्यों प्रणाम किया जाता है

काम क्रोध लोभ मोह मद मत्सर इनका त्याग किया है और सच्चिदानंद प्रभु के लिए अपने जीवन को बलिदान किया इसलिए संतों को ऐसे करते हैं तो उन राष्ट्र सैनिकों को इसीलिए सम्मान दिया हम उन भाइयों से प्रार्थना करते हैं कि आप जो कष्ट सह रहे य आपकी तपस्या है और इसका परिणाम वह होगा जो एक योगी को परिणाम प्राप्त होता है

Jawan Ne Pucha Maharaj Se Sabhi Jawano Ki Taraf Se Sawal

भगवत आनंद वही तुमको प्राप्त होगा हमारी बात पर विश्वास करो जीवन तो एक दिन सबका छूटना है आपका प्रशंसनीय राष्ट्र सेवा में छूटता है आप कष्ट पूर्वक अगर जी रहे परिवार से अलग हैं तो पूरा भारत आपका परिवार है पूरा भारत आपको प्यार की दृष्टि से देख रहा है

आप सच्ची मानिए जब यह सुना जाता है कि अमुक जगह युद्ध करते हुए हमारे भारत के सैनिक तो ऐसा ही कष्ट होता है जैसे अपने पुत्र के या अपने प्यारे लाड़ले भाई के या मित्र के जाने का दुख होता है हृदय जलने लगता है क्यों क्योंकि आप हमारे राष्ट्र से प्यार करते हैं

इसलिए हमारी प्रार्थना है उन राष्ट्र सैनिकों से ऐसी गलती ना सोचे कि हम परिवार और समाज को कैसे जब हम राष्ट्र सेवा परिवार और समाज अपने आप सुरक्षित रहेगा आपका प्यार अपने आप सुरक्षित रहेगा

यदि आप राष्ट्र सुरक्षा की तरफ ध्यान दीजिए उसके त्याग की तरफ ध्यान दीजिए आपका सम्मान है यह पैसा कुछ नहीं होता पैसा कमाने के बहुत से जरिए हैं आपने देशभक्ति के लिए यह मार्ग चुना है तो देशभक्ति प्रधान रखिए कभी छुट्टी ना मिले तो ऐसा रुष्ट भी नहीं होना है

कभी भोजन सही ना मिले ले तो ऐसा रुष्ट भी नहीं होना है क्योंकि आपका बहुत बड़ा पद है आपको सच्ची बताए हमारी दृष्टि में भारत में सबसे बड़ा पद राष्ट्र सैनिकों का है फ दूसरा पद है सबसे बड़ा पद उनका है क्योंकि जीतता है तो राजा की जयघोष होती है लेकिन प्राणों का बलिदान सैनिक करते हैं प्रथम बंदनी सैनिक है

राजा तो हार या जीत का नाम प्राप्त करता है लेकिन प्राणों का बलिदान और बलपूर्वक युद्ध तो सैनिक करते हैं अगर हम चैन से सो रहे हैं वो रात को जग रहे हैं हम यहां बैठे एसी रूम में या हीटर के रूम में सुरक्षित हैं

वो बर्फ में खड़े हुए उन्हीं के कारण में आप सुरक्षित हैं तो उनका त्याग उनका बलिदान प्रशंसनीय लिए है हमारे वचनों पर विश्वास करो हम वृंदावन से बैठ के बोल रहे हैं

सच्चिदानंद भगवान की प्राप्ति के लिए जैसे हम तपस्या और साधना करते हैं ऐसे तुम राष्ट्र सेवा में यदि कर रहे हो अपने कर्तव्य का पालन कर तुम्हारा जीवन व्यर्थ नहीं है तुम एक महान योगी हो एक महान तपस्वी हो पर ऐसी निराशा भरी बात अंदर नहीं आनी चाहिए

कि मैं कई महीने से परिवार से नहीं मिला और मुझे छुट्टी नहीं मिली तो मैं राष्ट्र द्रोह कर लूं यह राष्ट्र द्रोह है मान लो अपने बड़े अधिकारी को असभ्य बर्ताव करना या किसी भी तरह के ऐसे व्यवहार कर देना वो राष्ट्र के द्वारा अधिकारी चुना गया है

आपको उसका सम्मान करना चाहिए फिर आप रिक्वेस्ट कीजिए महीना 15 दिन रुक जाइए फिर प्रार्थना कीजिए आप अपने देश में हैं आप विचार करके देखिए तो हमारे राष्ट्र सैनिक धैर्यवान बने क्योंकि उनका जो पद है वह बहुत बड़ा है

हमारी दृष्टि में राष्ट्र का सबसे बड़ा पद राष्ट्र सैनिक का है वह सर्व त्यागी है विचार कीजिए कोई अनुकूलता उनके जीवन में नहीं कोई अनुकूलता नहीं है जब जहां जैसे जो मिला खाया और अपने जीवन को धूल धूस के हुए पहाड़ों में भी लगे हैं बर्डर में लगे हैं

कोई कभी कहीं से भी प्रहार कर सकता है हर समय संशय युक्त जीवन है तो परिणाम योग्य जीवन है बंदनी जीवन है और आपने ही वर्ण किया उस मार्ग को अब धोखेबाजी क्यों धैर्य पूर्वक रहिए और जब आप सेवा से निवृत्त होइए तो जीवन भर सरकार आपका आदर करती रहेगी नहीं होता अगर किसी के परिवार का सदस्य किसी भी तरह बलिदान हो जाता है

तो हमने देखा है कि कच्चे मकान में रहते थे लेकिन बिल्डिंग बन गई उनकी और उनके नगर में उनकी छवि लगी और सम्मान उनका हुआ और जीवन भर उसकी बात सरकार सुनती है

उस परिवार की जिस परिवार से तो मुझे ऐसा लगता है कि हम भारतीय सैनिकों से प्रार्थना करेंगे कि आप निराश और उदास इस विषय में ना हो कि आप अपने परिवार से नहीं मिल पाते हैं या आप समाज जवाइन नहीं कर पाते यह समाज जवाइन जो कर रहे हैं वो आपके बल से कर रहे हैं हां आपको अपने स्वरूप में रहना है

आप एक बहुत बड़े त्यागी महात्मा है आप विषयों का त्याग किए परिवार का त्याग किए भोगों का त्याग किए प्राणों का त्याग किए राष्ट्र सेवा में लगे हुए हैं आप अपने स्वरूप को पहचानिए इसी से आपको लोक सिद्धि और परलोक सिद्धि दोनों जाएगी तो हमें तो लगता है कि यदि सही कर्तव्य का पालन करें जैसे अर्जुन जी को उपदेश कर रहे हैं तो भगवान साथी है

भगवान हर समय सारथी रूप में अर्जुन के पास ही नहीं हमारे पास आपके पास सबके हृदय में बैठे हुए हैं अधिकारियों को भी प्रार्थना है कि वो सैनिकों को अपने बेटे के साथ कैसा बर्ताव किया जाता है ऐसा करें अगर आपका बेटा सैनिक होता आपके साथ तो आप कैसा बरताव करते उनको ऐसे क्योंकि बड़ा पद मिला तो पिता की तरह व्यवहार कीजिए और जो अधिकारियों के अंडर में सैनिक उनको राष्ट्र ने अधिकार दिया है

इसलिए उनका सम्मान करना चाहिए उनकी अवहेलना उनका अपमान या उनका किसी भी तरह से अनादर करना यह असभ्य होगी याय आप अपने पद का दुरुपयोग करेंगे हम प्रणाम करते हैं

उसी त्याग को उसी सम्मान को समझ पा रहे आप इसमें कोई संशय देखो नाम जप कीजिए कोई कहीं भी हो तभी आपकी हम कई बार कहते ना भगवत प्राप्ति ना मोक्ष सही बुद्धि को रखने के लिए चाहिए अगर नाम जप करेंगे भगवान का आश्रय रखेंगे तो आप अपने को कंट्रोल में रख सकते हैं आप अपने को शासन में रख सकते हैं

नाम जप ही नहीं भगवत आश्रय नहीं तो भ्रष्ट बुद्धि वो कुछ भी करवा सकती है बुद्धि को शुद्ध करने के लिए हमारे पास नाम है राधा राधा कृष्ण कृष्ण राम हरि जो नाम नाम जप नहीं भगवत आश्रय नहीं तो कोई कहीं भी हो यह खराब हो जाएगी और यह बुद्धि खराब हो गई तो क्या फिर ठीक बात नहीं है

महाराज जी आर्मी में कर्नल हूं अच्छा अधिकारी भी मजबूर होते हैं जब छुट्टी नहीं दे पाते ले ले आपका स्वागत अच्छा अगर अधिकारी छुट्टी नहीं दे पाते हैं तो उनकी भी एक मजबूरी है वही व्यवस्था चलानी है हां वही तो कह रहे कि फिर बाद में प्रार्थना करनी चाहिए ना महीना दो महीना फिर आप अपने राष्ट्र में ही तो है क्योंकि जैसे मैं हूं मेरे पति भी फौज में है

हम भी चार पाच साल से अलग अलग ही जी तो समस्या सबकी सेम है लेकिन सब समस्याओं का समाधान भगवान का आश्रय है अगर नाम जप नहीं हुआ भगवत आश्रय नहीं हुआ तो फिर आपका आंतरिक सहारा क्या होगा फिर बाहर से आप टूट जाएंगे ना बस एक चीज जो समझ नहीं आती है जी जैसे हमारा जो संस्था है

उसमें भोजन का हम नियम नहीं रख पाते हैं हां नहीं रख पाए नहीं रख पाते हैं जी पर मन बड़ा होता है कि तुलसी की कंठी धारण कर ले क्योंकि हम लोग सर्व धर्म स्थल नाम की की चीज होती है हिंदू ये सब नहीं है जी सबको समान रखने के लिए हमें वो चीजें करनी होती है जी तो जैसे अगर मेरे को राधा नाम या भगवान का माता रानी का नाम रखना है जी पढ़ लेते हैं

शास्त्र थोड़ा बहुत जितना भी हो पाता है जी पर इनको जैसे ये जो छोटे छोटे हैं इनको कैसे इस मार्ग पे करें क्योंकि ये भी जो देख रहे हैं वो वो नहीं देख रहे हैं जो हमें बचपन में उनको देना चाहिए बहुत सुंदर है

अगर इनको हम 5 मिनट 10 मिनट अपने पास बैठल करके संतों की बात सुनाए अपनी भाषा में जैसे छोटे बच्चे हैं इनको राधा नाम जप पाच मिनट सही 10 मिनट सही हां और गंदे बच्चों से बचने का कि कोई हमें गंदी तरीके से छू रहा है गंदी तरीके से हमें शिक्षा दे रहा है

कोई ऐसी जो ब्रह्मचर्य हीनता की तरफ अगर हम इन बच्चों को मित्रवत व्यवहार करके इनसे बात पूछे इनको समझाएं और शास्त्र की बात सुनाएं नाम जब करवाए तो मुझे पक्का लगता है

वो एक बहुत अच्छे सद गृहस्थ एक बहुत अच्छे राष्ट्र सेवक समाज सेवक बन सकते हैं और देखो हमारी बात समझना जहां आप है वहां के लिए हमारा तो गला काट दिया जाए तो हम नहीं उतार सकते लेकिन आपके लिए हम आदेश नहीं करेंगे आपके लिए सबसे बड़ी बात राष्ट्र सेवा है

अर्जुन जी भगवान से कह रहे मैं सन्यास लूंगा भिक्षा अन पाऊंगा पर युद्ध नहीं करूंगा घोर संग्राम विनाशकारी कार्य और भगवान क्या कह रहे हैं देखना है जगत गुरु है ना वो कह रहे अर्जुन तू खड़ा हो जा और युद्ध कर इनको मार क्योंकि इस समय अधर्मी लोग जो हैं

सामने खड़े हैं और तू छात्र धर्म से युक्त है तेरा परम कर्तव्य यही है कि तू इनको मार बात समझना यदि आप राष्ट्र सेवा में है और अंदर-अंदर राधा राधा जप रहे हैं आप भले कंठे नहीं धारण किए आप भले तिलक नहीं लगाए लेकिन आप भगवान की बहुत प्यारी लाड़ली भक्त है क्योंकि भगवान कर्तव्य पर जोर दे रहे हैं

अगर हम बाहर क्रियाओं से है और अंदर से हम भगवान के प्रति कर्तव्य हीनता दिखाए जो हमारे आचरण नहीं होने चाहिए कभी भगवान प्रसन्न नहीं होंगे आप इस भेष में है लेकिन आप भगवान का आदर करते हैं

आप उनका नाम जप करते हैं आप देश के लिए समर्पित है सच्ची मानिए आप भगवान की बहुत लाड़ली है आप ऐसा ना सोचिए कि अगर कंठी बंधा हो तो ही भगवान प्यार करेंगे तिलक लगा हो तो ही भगवान ये बाहरी बात है

भगवान आंतरिक प्रेम देखते हैं वो आपके अंदर है जो राष्ट्र सेवा में है जो आपने बात कही कि हमारा भी मन करता है इसका मतलब है तो इसलिए आप निराश मत होइए आप जहां है धैर्य पूर्वक आप उसी कार्य को पूजा मान लीजिए भगवान उसे प्रसन्न हो जाएंगे ठीक है ना ले हमें बहुत अच्छा लगा ये आप निश्चिंत रहिएगा ठीक है ना बहुत अच्छा लगा आप प्रसन्न रहिएगा आप हमारे राष्ट्र सेवा में रहे|

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