क्या आज की बढ़ती वैज्ञानिक उन्नति हमारे लिए हानिकारक है(Kya Badhti Hui Vaigyanik Unnati Hamare Liye Hanikarak Hai) ekantik Vartalap & Darshan: एकांतिक वार्तालाप & दर्शन By Shri Premanand Ji Maharaj

Kya Badhti Hui Vaigyanik Unnati Hamare Liye Hanikarak Hai: यश शर्मा जी यश जी राधे राधे महाराज जी महाराज जी आपके चरणों में दंडवत प्रणाम महाराज जी वैज्ञानिक अनुसंधान तकनीकें किस तरह कलयुग को बढ़ावा दे रही हैं जिससे आज का युवा आध्यात्मिक मार्ग की पहुंच से दूर होता चला जा रहा है तो क्या वैज्ञानिक उन्नति हमारे लिए हानिकारक है?

Pujya Shri Premanand ji Maharaj: हम यह कह रहे कि जड़ चेतन गुण दोष में विश्व कीन करतार संत हंस गुण गाए पे परि हरि वार विकार जैसे जल और दूध मिलाकर रख दिया जाए तो हंस दूध पीता है पानी छोड़ देता है

संपूर्ण हम वैज्ञानिक की बात नहीं कहते संपूर्ण सृष्टि मिश्रित बनी हुई है गुण और दोष से जड़ चेतन गुण दोष में विश्व केन करतार प्रकृति की रचना करने वाले ईश्वर ने ऐसी रचना की है सब में कुछ दोष है कुछ गुण है तो यंत्र में भी जैसे मोबाइल है

इसमें बड़ा गुण भी है आप मोबाइल के ही बल से तो यहां आए अगर मोबाइल में यूट्यूब में सत्संग ना पढ़े एकांतिक ना पढ़े तो कौन प्रेमानंद है आप क्या जानोगे क्या व बोलते हैं आप क्या जानोगे बड़ा हुआ कि सुनने को मिला आप इसी बहाने वृंदावन आए महारानी जी के महल में और आप सामने बैठे हैं

तो हम उसे निंदनीय की चर्चा अमेरिका में बैठकर सुन लो कितना बढ़िया कलयुग ने कृपा कर दी पहले तो तपस्वी ऋषि ध्यान के द्वारा बात करते थे आप मोबाइल खोलिए और वो वीडियो कॉल कर लीजिए नहीं हां कर ले नहीं हो रहा यार प्रणाम करने योग्य वैज्ञानिक प्रणाम करने योग कि नहीं हां तो हमें लगता है

कि हम दोष से यदि बचने की चेष्टा रखें तो सर्वत्र हम संत स्वभाव को प्राप्त हो जाए कहां कौन क्या कैसा सब मिश्रित है अपना देह भी दोष है अपना मन भी दोष युक्त है अब हमको उसके गुण पकड़ने और दोषों का त्याग कर देना है तो कोई समस्या ही नहीं है

हमें तो कहीं समस्या नहीं नजर आती मोबाइल है आप किसी संकट में ऐसी जगह फंस गए जहां पुकार भी नहीं सकते तो आप वहां नंबर मिलाइए आप सूचना दीजिए अपने प्रियजनों को या कानून विभाग को आपको सहयोग मिलेगा है

Kya Badhti Hui Vaigyanik Unnati Hamare Liye Hanikarak Hai

बहुत सु आपके साथ कोई अ भद्र व्यवहार कर रहा है तो किसी की गवाही की जरूरत नहीं वीडियो बना लीजिए हो गया हमें लगता है कि बहुत से गुण भी हैं तो हम दोषों की तरफ यदि नहीं जाएं तो बहुत अच्छा है

अगर हम दोष पकड़े तो जब मोबाइल नहीं था तब क्या काम क्रोध लोभ मोह मद मत्सर क्या इनका तांडव नहीं था क्या विचार करो तो हमें लगता है

कि हम कलयुग को दोषी ना ठहरा करर अपने बुद्धि विवेक से गुण ग्रहण करते हुए दोषों का त्याग कर दे तो कोई परेशानी नहीं हमारे मुख में नाम चल रहा है

Kya Badhti Hui Vaigyanik Unnati Hamare Liye Hanikarak Hai

कलयुग हमारा क्या बिगाड़ लेगा हम गंदा आचरण नहीं करते कलयुग हमारा क्या बिगाड़ लेगा हम किसी की चोरी जुआ शराब मदिरा और य मान साद हमारा कलयुग क्या बिगाड़ लेगा अगर हम बुरा करेंगे तो क्या सतयुग में दपर में त्रेता में भगवान ने देखो लीलाएं करके दिखाया विनाश कर दिया नहीं रावण के समय में तो मोबाइल नहीं था

भारी व्य विचार प्रवृत्ति से युक्त हो गया था नहीं हो गया था आप वो जो इतिहास पढ़ते उनको पता है व भूल गया था कि मैं कौन हूं मेरा क्या कर्तव्य सब भूल गया था उसको केवल तभी तो साफ मिला था ब्रह्मा जी का कि बिना किसी मतलब किसी की सहमति और अनुमति के अगर तेरी खोपड़ी के सैक टुकड़े हो जाएंगे तो मुझे लगता है कि यह आसुरी प्रवृत्ति और दैवी प्रवृत्ति दोनों बराबर बराबर रहे हैं

हम आसुरी प्रवृत्ति का त्याग करके दैवी प्रवृत्ति को दैवी संपदा को धारण करें तो कोई परेशानी नहीं मोबाइल को हम भी दोषी कहते हैं कि जिन बच्चों को संसार किता का ज्ञान ही नहीं है उनके हाथ में जब मोबाइल आता है और वह ऐसे मित्रों से मिलते हैं और वह बातें जब सर्च करते हैं

अल्प अवस्था में ही वह अपने आप को नष्ट कर देते हैं ऐसा पर उसमें बहुत गुण भी है बहुत सी ऐसी बातें आपको मोबाइल की जरूरत पड़ेगी हम दोष का त्याग कर दे तो हमें लगता है

कोई समस्या नहीं अब हम सोचे कि यह सृष्टि से हटा दिया जाए यह सृष्टि से हटा दिया जाए तो फिर काम ही नहीं चलेगा हमको अपने नेत्र सुधारने पड़ेंगे हम लोग क्या करते हैं अपनी कमजोरी को दूसरों पर आक्षेप देते हैं

हटाओ इसको क्यों हटाए हम कमजोर हैं तो तुम ठीक हो ना उसको हटाने से क्या होगा वो कमजोरी आप ठीक करो अपनी कमजोरी ठीक करलो कोई परेशानी नहीं कमजोरी ठीक करना ही परमहंस अवस्था है श्री सुखदेव जी महाराज की जब परीक्षा के लिए जनक जी ने तो सात दिन सात रात्रि माताए मैंने सेवा में लगा दी व जो दास पूछा आप क्या है बोले जैसे आए थे वैसे ही है

जैसे सा दिन सात रात कुछ नहीं तो हम लोग क्या करते हैं कि सामने दोषारोपण करते हैं यह मोबाइल बहुत ना यह हट जाए हटा के जब मोबाइल नहीं था तो क्या भ्रष्टाचार नहीं था क्या क्या काम लीला नहीं थी क्या क्या गंदगी नहीं थी क्या विचार करके य हमारी मानसिकता में गंदगी भर गई भाई तो मोबाइल से हां उससे थोड़ा और सहयोग बन गया

क्योंकि सर्च करके तत्काल देखने वाली बातें तो वो हम रोके वो हम रोके समय व्यर्थ ना करें इधर उधर ना देखें हमें जो उसकी आवश्यक बात है वह हम समझे किसी भी महापुरुष के वचन सुन लो यार कितना बढ़िया है पहले तो जाओ उनकी कैसेट ढूंढो अगर कहीं पुरानी है

तो मिले अभी तो आप सर्च करो उड़िया बाबा जिसने कभी नहीं देखा उड़िया बाबा वो देख ले उड़िया बाबा को हम तो प्रणाम करते हैं मोबाइल को संतों के वचन सुनाते हैं तो आधुनिक यंत्र जो है बहुत सहा योगी हो रहे हैं

जैसे आज के मात्र हम 25 26 वर्ष पहले कह रहे पूज्य श्री राधाचरण दास नाम के एक संत थे उनकी किडनी खराब हुई पंडित गया प्रसाद जी के शिष्य थे उस समय डायलिसिस मशीन आई नहीं थी ना दिल्ली में ना यहां क डायलिसिस मशीन का शब्द ही नहीं था व वही चूर चारू से शरीर पूरा हो पूरा शरीर का आज आज डायलिसिस मशीन आ गई तो आपके सामने हम बात कर रहे हैं

आपके सामने बैठे अगर वैज्ञानिक कृपा करके यह शोध ना करते कि जो किडनी फेल हो गई तो किडनी का काम मशीन कर रही है हम खा पी रहे हैं आपसे बात कर रहे हैं प्रणाम है उन वैज्ञानिकों को हम उनको दोष दर्शन के रूप में जो देखते हैं वह बड़ी परेशानी है

वह हमारी परेशानी है अगर मिसाइल है बम है आप शास्त्र उठा के देखो अग्नियास्त्र वारणा स्त्र वायवा स्त्र पशुपतास्त्र यह सब थे ना तो उन्हीं के आधार पर तो बनाई गई है कुछ अलग थोड़ी बनाया गया है अच्छा भगवान ही वैज्ञानिक की बुद्धि में बैठते हैं अ तीन लीलाएं हैं

एक सृजन लीला पालन लीला विनाश लीला तीनों जोर की है यहां बैठे बल्लब जल रहा बनी कहां बिजली है अच्छा एक बल्लब में देखो क्या है कितनी बढ़िया लाइट फेंक रहा है वैज्ञानिक ने शोध किया रात दिन एक किए तपस्या की तभी बात निकली ऐसे थोड़ी निकल आ कि ऐसे निकल जाए मोबाइल में गाना बज रहा है बैंड बज रहा है संगीत बज रहा है

पूरा तोड़ के देख लो कहीं अगर एक मंजीरा मिले तो बताना तारा ही तार है नहीं सब यार उसम सर्च करो तो जो चाहो लीला देख लो और एक फोटो अंदर नहीं है मोबाइल में एक फोटो नहीं है पूरी फिल्म देख लो उसमें चाहे जो नाटक सिनेमा जो चाहो यार कितना बुद्धि वैज्ञानिक उसी को हम नेगेटिव ना करके अगर हम पॉजिटिव चले तो बहुत लाभदायक बात है

तो ऐसे सब कुछ है क तो बड़े-बड़े बम बन गए हैं तो पहले भी थे एक अस्त्र संधान करें पूरी सृष्टि भस्म हो जाएगी अभी तक पूरी सृष्टि का भस्म होने वाला तो नहीं आया हमें लगता है कि देश प्रदेश ऐसे तो नष्ट हो सकते होंगे परमाणु बम से लेकिन पूरी सृष्टि का विनाश कर दे

तो ऐसा नहीं ब्रह्मास्त्र पाशुपतास्त्र नारायणास्त्र य एक संधान संकल्प और पूरी सृष्टि नष्ट हो जाए दूसरा कोई जोड़ ही नहीं काट का ब्रह्मास्त्र का ब्रह्मास्त्र ही काट है दूसरा कोई है ही नहीं तो अब अभी कोई नई चीज नहीं बन गई है

बोले जैसे हवाई जा चल रहे हैं पेट्रोल है ड्राइवर है डीजल पेट्रोल कुछ जो भी पड़ता हो हमें तो ज्ञान है नहीं व पड़ता होगा कुछ पड़ता है ना उसमें और ड्राइवर बैठता है और पुष्पक विमान में ना पेट्रोल पड़ता था और ना ड्राइवर था ए पुष्पक अयोध्या चलो अ पहुंच गया

अयोध्या तो पहले जैसा विज्ञान तो अब भी नहीं है नहीं है ना हां पहले जैसा विज्ञान नहीं है सूर्य को स्तंभित कर दिया बातचीत कर रहे हैं गोकर्ण जी भागवत में पढ़ के देख सूर्य को स्तंभ रोक दिया सूर्य की गति को तो हमें लगता है

कि हमारे शास्त्रों से सब विज्ञान बना हुआ है और निंदनीय नहीं है बंदनी है पर बंदनी पक्ष को हम ले ले अगर निंदनीय तो कुछ ना कुछ सब में गुण दोष है पूरी सृष्टि जैसे कई बार कहा है शुद्ध स्वर्ण का आभूषण नहीं बन सकता मिलावट होती है

उसम किसी में ज्यादा मिलावट होती है किसी में कम मिला मिलावट होती है पर शुद्ध स्वर्ण को आकार नहीं दिया जा सकता उसे आकार देने के लिए कुछ मिलावट की जाती है क्यों ऐसा है ना ऐसे ही शुद्ध ब्रह्म ही है

सर्वत्र पर ये माया की मिलावट हो गई है तो उसमें माया में कुछ दोष है कुछ गुण ऐसी लीला हो रही तो अपने को हंस वत कार्य करना है गुण गुण स्वीकार करना है दो सुख त्याग कर देना क्यों भाई ठीक है

हमको तो एक शराबी ने उपदेश किया आपने सुना होगा हमने सत्संग में हम उसका जब कभी हमारा मन टूटने को हुआ जब प्रतिकूलता ऐसा कुछ जीवन तो व तुरंत सावधान हो गए उसकी बात ए टूटना नहीं पूरे जीवन में टूटना नहीं तिल तिल काटा गया है

यह पत्थर तो देख आज भगवान बन के पूज रहा है हम जीवन भर उसकी बात याद रखें गुण ले लो कहीं से भी ले लो और अगर दोष दर्शन करो तो फिर लोग भगवान में भी दोष दर्शन करते हैं संतों में दोष दर्शन करते हैं तो हमें दोष दर्शन कहीं नहीं करना हमें गुण लेना है गुण से हमें म समझ पा रहे जी|

Is increasing scientific advancement harmful for us

5 बिंदुओं में सारांशित

  1. संक्षेप: इस एकांतिक वार्तालाप में यश शर्मा जी ने वैज्ञानिक उन्नति की महत्वपूर्णता पर चर्चा की है और यह सोचा है कि क्या यह हमारे लिए हानिकारक हो सकती है।
  2. साधु-संग: एकांतिक वार्तालाप में महाराज जी के साथ संत संग का महत्वपूर्ण भाग है, जिन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान तकनीकों के प्रभाव पर विचार किए हैं।
  3. जड़-चेतन तत्त्व: वक्ता ने जड़ और चेतन के सम्बन्ध को समझाने के लिए एक उपमहाद्वीप द्वारा दिया गया उदाहरण दिया है, जिसमें मोबाइल को उपयोग करने का सुलभता और जड़-चेतन के अन्य सिद्धांतों का उल्लेख है।
  4. सामाजिक उत्सर्ग: एकांतिक वार्तालाप में सामाजिक उत्सर्ग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न युगों में लोगों के आचार-विचार को समझाने की कोशिश की गई है, और उन्होंने दैवी प्रवृत्ति की महत्वपूर्णता पर बात की है।
  5. समाधान प्रस्तुति: एकांतिक वार्तालाप का समापन समाधान प्रस्तुति के साथ हुआ है, जिसमें श्रद्धा और उद्दीपन के माध्यम से समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया गया है।

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